Monday, February 25, 2013


आदमी जबसे डसने लगा है
उसके जहर से साँप भी मरने लगा है।।

मैंने पूछ गुलाब से --
तुम्हारी सुंदरता, कोमलता और खुशबू का है क्या राज !
उसने मुस्कुराकर कहा –
कांटो पर चल कर ही मैंने, पाया है जीने का यह अंदाज ।।



मिलना हुआ था
                --- अरुण सिन्हा
तुम नहीं मिले कोई गम नहीं
तुम्हें भी कोई गम नही ।
क्योंकि मिलने के पहले से ही
हम दोनों जानते थे
कि होगा एक दिन बिछुड़ना ।
फिर भी जरुरी था तुम्हारा हमारा मिलना
क्योंकि हम दोनों मिले थे निःस्वार्थ से ।
तुम्हें भय नहीं था कुछ खोने का
मुझे भी लोभ नहीं था कुछ पाने का ।
था यह सिर्फ आकर्षण स्त्री पुरुष होने का
जैसे मिलना हुआ था राधा और कृष्ण का ।
n  अरुण सिन्हा, दिनांक 14.2.2013